19 रूपये का चमत्कार - A Video by Sandeep Maheshwari
एक बार एक छोटी सी बच्ची हाथ में मिटटी की गुल्लक लेकर के भागती हुई एक दवाई की दुकान पर गयी। वह काफी देर तक दुकान पर खड़ी रही लेकिन दुकानदार का ध्यान उसकी तरफ नहीं गया क्यूंकि और भी बहुत सरे लोग वहां पर खड़े हुए थे।
उसने दुकानदार को बुलाया लेकिन वह पर भीड़ इतनी थी की दुकानदार का ध्यान उसकी तरफ नहीं गया और न ही किसी ओर का और फिर उस बच्ची को गुस्सा आया तो उस बच्ची ने अपनी मिटटी की गुल्लक को काउंटर पर जोर से रख दिया, जिसके बाद में जो दुकानदार था जितने भी लोग थे सभी लोग बच्ची की और देखने लग गए और फिर उस दुकानदार ने उस बच्ची से पूछा की क्या चाहिए ? तो वह बड़े भोलेपन से बोली की चमत्कार चाहिए। ये सुनकर दुकानदार को और वहाँ खड़े लोगो को समझ नहीं आया कुछ , और फिर दुकानदार बोलै बीटा यहाँ चमत्कार नहीं मिलता।
तो बच्ची को लगा की दुकानदार झूठ बोल रहा है और बच्ची ने कहा मेरे पास बहुत पैसे है बताओ आपको कितनी चाहिए लेकिन में आज यहाँ से चमत्कार लेकर ही जाऊंगी । तो वही काउंटर के पास एक और व्यक्ती खड़ा था तो उसने पूछा की बेटे तुमको क्यों चाहिए चमत्कार ?
तब उस बच्ची ने अपनी कहानी बताई। की अभी कुछ दिन पहले मेरे भाई के सर पर बहुत दर्द हुवा तो मेरे मम्मी पप्पा उसे हॉस्पिटल लेकर गए कई दिन तक मेरा भाई नहीं आया। मेने कई बार आपने पापा से पूछा लेकिन उन्होंने नहीं बताया उन्होए बार बार यही कहा की वो आ जायेगा , आज आ जायेगा , कल आ जायेगा , लेकिन वो आ ही नहीं रहा था। तो मेने मम्मी है और पापा मम्मी को कह रहे थे की उसके इलाज के जितने पैसे चाहिए वो मरे पास नहीं हैं। अब उसको कोई चमत्कार ही बचा सकता है तब मुझे लगा की अगर मेरे पापा के पास इतने पैसे नहीं हैं तो क्या हुवा मेरे पास तो है। मेने जितने भी पैसे जोड़ रखे हैं वो सरे लेकर के इस दवाई के दुकान में आयी हूँ।
तो फिर उस आदमी ने पूछा कितने पैसे हैं तुम्हारे पास ये सुनते ही उस बच्ची ने अपनी गुल्लक उठायी और जमीं पर पटक के तोड़ दी. और पैसे गिनने लग गयी। बाकि सब लोग खड़े होकर के उसे देख रहे थे। फिर सरे सारे पैसे उसने हाथ में लिए और बोले मेरे पास में पुरे उन्नीस रूपये हैं।
वो जो आदमी वहाँ पर खड़ा था वो थोड़ा मुस्कुराया और बोलै अरे तुम्हारे पास में तो पुरे पैसे हैं। इतने का ही तो आता है चमत्कार। ये सुनकर के वो बच्ची खुश हुई। और बोली की चलो में आपको अपने पापा से मिलवाती हूँ बाद में पता लगा की वो आदमी कोई आम आदमी नहीं था बल्कि एक बहुत बड़ा न्यूरो सर्जन था। और उसने सिर्फ उन्नीस रूपये में उसके भाई की सर्जरी करी । और वो कुछ दिन बाद ठीक हो गया और घर आ गया । और कुछ दिन बाद वो बच्ची उसका भाई उसकी मम्मी पापा सब एक साथ बैठे हुए थे और बात कर रहे थे ।
तो उसकी मम्मी ने उसके पापा से पूछा की अब तो बता दो की ये चमत्कार आपने किया कैसे , तो उन्होंने अपनी बेटी की तरफ देखा और बोले ये चमत्कार मेने नहीं इसने किया है।
तो यहाँ पर बहुत बड़ी बात है जो उस छोटी सी बच्छी से सीखनी चाहिए। की जिंदगी में कभी कभी ऐसा होता है की हमे कोई रास्ता नजर नहीं आता है और हमलोग हिम्मत हर जाते हैं तब हमारे अंदर एक बच्चा होता है जो कोसिस करने से नहीं हटता है। वो हार मानने को तैयार नहीं होता है क्यूंकि उसको ना शब्द समझ नहीं आता है वो बच्चा जिसके लिए कुछ भी नामुमकिन नहीं है क्यूंकि हर हाल में वो कोसिस करता ही रहता है।